भाटपार रानी, देवरिया। स्थानीय उप नगर स्थित श्री रामाजनकी धर्मशाला के सभागार में भोजपुरी संगम के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर अपरान्ह 1बजे संगोष्ठी का शुभारंभ जगदीश मिश्र समाजसेवी की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो पवन कुमार राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी भोजपुरी को उसका वाजिब हक नहीं मिला है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि जो बालक अपनी मातृभाषा में नहीं वल्कि अन्य भाषा में शिक्षा पाते हैं, वे आत्म हत्या करते हैं। इससे उनका जन्मसिद्ध अधिकार छीना जाता है।
अश्लीलता के सवाल पर उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा से अश्लीलता ज्याडे फैली है। इसका मुख्य कारण कलाकारों पर बाजारवाद का प्रभाव है। कलाकार कहते है की जो बाजार मांगता है उसे हम परोसते हैं। इसमें सरकार दोषी नहीं है। समाज दोषी है।
मुख्य वक्ता बलिया के भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि बृजमोहन प्रसाद अनारी ने कहा कि मनुष्य के साथ पशु पक्षी की अपनी मातृभाष है। आज नई पीढ़ी अपनी मातृभाषा से दूर होती चली जा रही है। उन्होंने वसंत ऋतु पर अपनी मार्मिक गीतों को प्रस्तुत किया।
कुहुकत कोयलिया बेर, अरे जरूर कवनो बात बा,
आ गयिले वसंत ऋतु, अयिसने बुझात बा।।
गते गते बहतावे रसगर हउआ,
पाखी चमकऊआ ले के,
उड़तावे कौआ।।
विशिष्ट अतिथि सिकंदरपुर से आए हुए प्रसिद्ध लोक गायक राज विजय यादव ने अपने मर्मस्पर्शी सुमधुर भोजपुरी गीतों से सबको भाव विभोर कर दिया।
शशिभूषण चतुर्वेदी समाजसेवी ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ चुनाव के दिनों में भोजपुरी को भुनाती है। यह सरकार ढपोरशंखी है सिर्फ भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता का आश्वासन देती हैं।
वरिष्ट पत्रकार व समाजसेवी डाक्टर मोतीलाल यादव ने कहा कि जब तक हमे अपनी शिक्षा मातृभाषा में नहीं मिलेगी तो आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आज जो नवयुवतियों व नवयुवकों में आत्म हत्या का प्रभाव बढ़ रहा है उसका भी कारण भोजपुरी में अश्लीलता ही है।
: समाज सेवी दयानद कुशवाहा ने कहा कि जिस समाज के मातृभाषा को सम्मान नही मिलता है। वह समाज गुलाम हो जाता है। वरिष्ट पत्रकार सुरजन शाह ने कहा कि भोजपुरी में अश्लील गीतों का बहिस्कार होना चाहिए।
उक्त कार्यक्रम में वरिष्ट कवि राम मनोहर मिश्र विचित्र, जगनाथ यादव, रत्नेश मिश्र आदि लोगो ने अपनी भोजपुरी रचनाओं के माध्यम से समाज को जगाया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृद्ध समाज सेवी जगदीश मिश्र ने किया।
कार्यक्रम के संयोजक भोजपुरी चिंतक डाक्टर जनार्दन सिंह ने कहा कि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता की मांग उसकी अस्मिता, पहचान व सुविधाओं की मांग है।
उन्होंने कहा किमातृभाषा के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षणिक व सांस्कृतिक मामलों के संगठन यूनेस्को द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस21फरवरी 1952को ढाका में भाषा आंदोलन के दरम्यान हुए गोलीबारी में शहीद हुए सपूतों की शहादत को मान देने के लिए मनाया जाता है।
पुनीत कुमार पांडेय जी पत्रकार ने भी संबोधित किया।
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